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दारुल उलूम भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के सहारनपुर जिले के देवबन्द नामक शहर में स्थित है। दारुल उलूम एक इस्लामी स्कूल है। इस एशिया का सबसे बड़ा मन्दरसा भी माना जाता है। इस्लामी दुनिया में दारुल उलूम का विशेष स्थान है। देवबन्द का दारुल उलूम एक विश्विधायालय ही नहीं बड़ी विचारधारा है। इस विचार धारा से प्रभावित मुसलमानो को देवबन्दी के नाम से जाना जाता है।
एक मुसलमान उलूम ने जो प्राचीन मुस्लिम विद्या के अग्रणी थे। उन्होंने देवबन्द आंदोलन चलाया। इस आंदोलन के दो मुख्य उद्देश्य थे मुसलमानो में कुरान और हदीस की शुद्ध शिक्षा का प्रसार और विदेशीशासको के विरुद्ध जिहाद की भावना को बनाये रखना। उलूम ने मोहम्मद कासिम ननोतवी एवं रशीद अहमद गंगोही के नेतृत्व में वेदबन्द ( उत्तर प्रदेश ) के सहारनपुर जिले में एक विद्यालय 30 मई 1866 को खोल गया। इस विद्यालय में अंग्रेजी शिक्षा और पाश्चातय संस्कृति पूरी तरहा वर्जित थी। इसके साथ ही साथ ये विद्यालय अलीगढ आंदोलन के एकदम विपरीत था। देवबन्द आन्दोलन 1885 में स्थापित भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का स्वागत किया सन 1888 में उलूम ने सैयद अहमद खा द्वारा स्थापित संयुक्त भारतीय राजभक्त सभा एवं मुस्लिम एंग्लो ओरियंटल सभा के विरुद्ध फतवा जारी किया इस शाखा के एक अन्य नेता महमूद उल हसन थे। इन्होंने देवबन्द शाखा के धार्मिक विचारो को राजनीतिक और बौद्धिक बनाने के काम किया। आज देवबंद का उलूम विश्विद्यालय पुरे विश्व में इस्लामी शिक्षा के प्रसार के लिए प्रसिद्ध है।
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