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'विटामिन डी' के प्राकृतिक स्त्रोतों में से एक मशरूम शरीर के लिए बेहद लाभदायक होता है. हालांकि बहुत से लोग इसे सब्जियों के रूप में इस्तेमाल करते हैं लेकिन यह सब्जियों की श्रेणी में नहीं आता है. यह फंगी ‘कवक’ की श्रेणी में आता है. इसमें इतने पोषक तत्व होते हैं कि इसे सुपरफूड फंगी कहा जाने लगा है. इससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है. कैंसर रोगियों के लिए भी यह काफी फायदेमंद रहता है. अब एक ताजा रिसर्च ने इसके अन्य लाभों से पर्दा उठाया है. शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि मशरूम खाने से डिमेंशिया और अल्जाइमर जैसी उम्र संबंधी न्यूरोडिजिनेरेटिव बीमारियों से बचा या उनको कुछ समय के लिए टाला जा सकता है. न्यूरोडिजिनेरेटिव शब्द का इस्तेमाल तंत्रिका कोशिकाओं को नुकसान पहुंचने की प्रक्रिया के लिए किया जाता है. शोधकर्ताओं में भारतीय मूल का एक शोधकर्ता भी शामिल है.
शोधकर्ताओं का कहना है कि कुछ खाद्य और औषधीय मशरूमों में ऐसे बायोएक्टिव यौगिक होते हैं जो मस्तिष्क में तंत्रिका कोशिकाओं की वृद्धि बढ़ा सकते हैं और सूजन जैसी न्यूरोटोक्सिस उत्तेजनाओं से रक्षा करते हैं जो न्यूरोडिजिनेरेटिव बीमारियों का कारण बनती है.
मशरूम के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले फायदों का किया गया विश्लेषण
मलेशिया में मलाया विश्वविद्यालय से विकिनेश्वर्य सबारत्नम समेत शोधकर्ताओं ने खाने योग्य मशरूम के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले फायदों का विश्लेषण किया. उन्होंने बताया कि शोध के नतीजों से पता चला कि मशरूम उम्र संबंधी न्यूरोडिजिनेरेटिव बीमारियों से बचने या उन्हें कुछ समय के लिए टालने में अहम भूमिका निभाते हैं.
शोधकर्ताओं ने मशरूमों के बायोएक्टिव यौगिकों की गतिविधि पर ध्यान केन्द्रित किया जिससे तंत्रिका कोशिकाओं की रक्षा हो सकती है.
अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ सेन्ट्रल फ्लोरिडा के संपत पार्थसारथी ने कहा,‘‘कार्डियोमेटाबोलिक बीमारियों और कैंसर में फायदेमंद साबित होने वाले खाद्य पदार्थों के उलट न्यूरोडिजिनेरेटिव बीमारियों के लिए फायदेमंद खाद्य पदार्थों पर केन्द्रित बहुत कम अध्ययन हुये हैं. इस हालिया अध्ययन से तंत्रिका कोशिकाओं की रक्षा करने वाले और खाद्य सामग्री की पहचान करने के लिए प्रोत्साहन मिल सकता है.’’
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