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दीवाली का त्यौहार पुरे देश में मनाया जाता है दीवाली खुशियों का त्यौहार माना जाता है अगर आप भी दीवाली मानते है और दिवाली बार बहुत सारे पटाखे जलाते है तो ये लेख आपके जरुर पढना चाहिए हो सकता है आपको ये बुरा लगे, आपके द्वारा छोड़े गए पटाखों के शोर और प्रदूषण से दिवाली के त्यौहार की खुशियों को आप बर्बाद न करे, आपके द्वारा छोड़े गए पटाखों से सर्वाधिक हानि उन बुजुर्गो को होती है जो बुढ़ापे में अनेक प्रकार की बीमारियों से पीड़ित होते है इस बुजुर्गो को आपके द्वारा छोड़े गए पटाखे बहुत नुकसान पहुचते है और आपके द्वारा छोड़े जाने वाले पटाखे गर्भवती महिलाओ के लिए तो किसी घताक हथियार से काम नहीं है दीवाली पर जलाये जाने वाले पटाखों से हानिकारक नाइट्रोजन डाई आक्साइड और कार्बन डाई आक्साइड वायु में मिल जाती है ये गैसे शरीर के लिए बहुत ही घताक होती है और इन पटाखों से उत्पन स्मोग के साँस फूलने, घबराहट होने, खासी होने, हृदय और फेफड़ो में तकलीफ होना, आँखों में इन्फेक्शन होना, दमा का अटक आ जाना, गले में इन्फेक्शन आदि होने का खतरा रहता है, दीवाली पर पटाखे छोड़ने के दोरान दिल का दौरा, ब्लड प्रेसर, नाक में अलर्जी, ब्रोकाटिस और नुमोनिया जैसी अनेक समस्याए हो जाती है, कई बार पटाखों से जलने और कान का पर्दा फटने की खबरे भी सामने आयी है, दिल्ली में पटाखे जलने के कारण दीवाली के बाद वायु प्रदूषण का स्तर १० गुना तक बढ़ जाता है, पटाखों की तेज आवाज का सबसे ज्यादा असर छोटे बच्चो और गर्भवती महिलाओ, दिल के मरीज़ और साँस के मरीजो पर पड़ता है, दीवाली पर छोड़े जाने वाले पटाखों में २१ प्रकार के रसायन मिले होते है जो स्वास्थ्य को नुकसान पहुचाते है, एक लाख कारो का धुआ जितना नुकसान पर्यावरण को पहुचता है उतना नुकसान आपके द्वारा २० मिनट में छोड़े गए पटाखे पहुचाते है, प्रति वर्ष कई लोग पटाखों से जल जाते है, और इनमे से कुछ लोग अपनी जान भी गवा देते है, इसलिए आपसे प्रार्थना है की आप इस ख़ुशी के अवसर को ख़ुशी के साथ मनाये, पटाखे जलाकर वातावरण को नुकसान न पहुचाये
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