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अब एक सवाल ये उठता है की क्या ओरते भी जुडो सिख सकती है या नहीं आज ओरते हर क्षेत्र में पुरषों का मुकाबला कर रही है आज खेलो के क्षेत्र में ओरते तो पुरुषो से वेसे ही आगे बढ़ गयी है फिर जुडो तो है ही महिलाओ के लिए एक अच्छा खेल सवाल ये नहीं की लड़कियां या ओरतें इस कला को सीख सकती है बल्कि महिलाओं को ये कला सीखनी चाहिए या नहीं आज की समय में जुडो महिलाओं के लिए एक एक कला ही नहीं बल्कि एक आवश्यकता बन गया है इस खेल इस उन्हें केवल आत्मरक्षा ही नहीं मिलती है बल्कि उनका शारीरिक व्यायाम होने से उन्हें शारीरिक सुन्दरता भी मिलती है मोटापा कम करने के लिए भी जुडो बहुत लाभकारी सिद्ध हो सकता है जापान में तो महिलाओ को जुडो की ट्रेनिंग देने का खास इन्तेजाम है और यहाँ पर जुडो सिखाने वाली महिला शिक्षको की संख्या पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा है यहाँ पर महिलाओ को गिरने की कला सिखाई जीती है उन्हें सांस लेने की ट्रेनिंग दी जाती है सांस लेने की ट्रेनिंग भी जुडो में महिलाओ की लिए एक कला है सांस लेने का हमारे शारीर के संतुलन में बहुत घहरा सम्बन्ध है इसलिए उन्हें ट्रेनिंग लेते समय यह बहुत ही अच्छे तरीके से सिखाया जाता है की अपने सांसो पर किस प्रकार काबू रखा जाये
छोटे बच्चो को भी जुडो सिखाया जा सकता है पर बच्चो का ट्रेनिंग का तरीका ओरतो की ट्रेनिंग की तरह पुरुषो से एक दम अलग होता है क्यूंकि बच्चो में सोचने और समंझने की शकित बहुत कम होती है बच्चो को ट्रेनिंग देते समय उनकी स्मरण शक्ति को ध्यान में रखा जाता है और एक ही चीज को उन्हें बार बार समझाया जाता है इसलिए जो माँ बाप अपने बच्चो को जुडो की ट्रेनिंग दिलवाना चाहते है उन्हें इस बात का ध्यान बहुत अच्छे से रखना चाहिए कि वो बच्चो के शारीरिक विकास पर ध्यान दे ट्रेनिंग में कोई बेसबरी हा करे और माँ बाप को ये भी पता होना चाहिए की बच्चो की ये उम्र उनकी हड्डियों के बढ़ने का काल होता है इसलिए इस समय बच्चो की हड्डीयां ज्यादा मजबूत नहीं होती है सुरु में बच्चों को गिरने की ट्रेनिंग इस प्रकार से करनी चाहिए कि बच्चे की भावनाओ पर किसी प्रकार का विपरीत प्रभाव न पड़े इसके अतरिक्त जुडो का खेल या कला महिलाओ और बच्चो के लिए बहुत है आवश्यक है इससे उनका शारीरिक विकास होता है .
छोटे बच्चो को भी जुडो सिखाया जा सकता है पर बच्चो का ट्रेनिंग का तरीका ओरतो की ट्रेनिंग की तरह पुरुषो से एक दम अलग होता है क्यूंकि बच्चो में सोचने और समंझने की शकित बहुत कम होती है बच्चो को ट्रेनिंग देते समय उनकी स्मरण शक्ति को ध्यान में रखा जाता है और एक ही चीज को उन्हें बार बार समझाया जाता है इसलिए जो माँ बाप अपने बच्चो को जुडो की ट्रेनिंग दिलवाना चाहते है उन्हें इस बात का ध्यान बहुत अच्छे से रखना चाहिए कि वो बच्चो के शारीरिक विकास पर ध्यान दे ट्रेनिंग में कोई बेसबरी हा करे और माँ बाप को ये भी पता होना चाहिए की बच्चो की ये उम्र उनकी हड्डियों के बढ़ने का काल होता है इसलिए इस समय बच्चो की हड्डीयां ज्यादा मजबूत नहीं होती है सुरु में बच्चों को गिरने की ट्रेनिंग इस प्रकार से करनी चाहिए कि बच्चे की भावनाओ पर किसी प्रकार का विपरीत प्रभाव न पड़े इसके अतरिक्त जुडो का खेल या कला महिलाओ और बच्चो के लिए बहुत है आवश्यक है इससे उनका शारीरिक विकास होता है .
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