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चूहे की शादी Panchatantra Moral Stories in Hindi

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यह बहुत ही पुराने समय की बात है। गंगा नदी के तट पर एक सुन्दर सा आश्रम था। उस आश्रम में बहुत सारे सन्यासी रहते थे। वे सभी सन्यासी गुरु याज्ञवल्क्य के शिष्य थे जो हमेशा ध्यान में बैठे रहते थे अपने सन्यासी शिष्यों के साथ।
एक बार गुरु याज्ञवल्क्य नदी में नाहा रहे थे। उन्होंने उसी समय देखा की एक बाज़ एक छोटे से चूहे को अपने पंजों में जकड कर ले जा रहा था।  अचानक से वह चूहा हिलने लगा और बाज़ के पंजों से गिर पड़ा और सीधे गुरु के हाँथ में आकर गिरा।जब उस गुरु नें देखा की अभी भी वह बाज़ आसमान में इधर-उधर उड़ रहा है उन्होंने उस चूहे को बहार नहीं छोड़ा और वहीँ पास के एक वृक्ष पर उस चूहे को छोड़ दिया।  कुछ देर नहाने के बाद वे उस चूहे के बच्चे को अपने साथ ले गए।  रास्ते में उनके मन कुछ अलग सा विचार आया और उन्होंने उस छोटे चूहे को अपनी शक्ति से एक छोटी लड़की बना दिया और उससे अपने आश्रम में ले गए।
जब गुरु घर पहुंचे तो उन्होंने अपनी पत्नी से कहा – हे भाग्यवान, हमें इस कन्या को भगवान की कृपा और आशीर्वाद समझ कर हमें स्वीकार कर लेना चाहिए क्योंकि वैसे भी हमारी कोई संतान नहीं है। गुरुदेव की पत्नी बहुत ही खुश हुई और उसने ख़ुशी-ख़ुशी उस छोटी सी बच्ची को स्वीकार कर लिया।गुरु के आश्रम में लड़की बड़ी होती गयी। शिक्षित होती गयी, और गुरु की देख रेख में जीवन के विषय में उस कन्या नें कई विज्ञानं के तथ्य सीखे। गुरु और उसकी पत्नी को अपनी बच्ची पर गर्व था।
धीरे-धीरे लड़की और बड़ी होती गयी। समय आया जब गुरु की पत्नी नें गुरु से लड़की के विवाह के विषय में बात किया। पत्नी नें कहा – जिस प्रकार हमारी बेटी दूसरी लड़कियों से विशेष है उसी प्रकार उसके लिए एक विशेष पति ढूँढना चाहिए। गुरु भी इस बात से सहमत हुए और अपनी बेटी के वर ढूँढने में निकल पड़े।
अगले दिन सुबह गुरु नें अपनी शक्ति से सूर्य को बुलया और कहा – कृपा कर के मेरी बेटी से विवाह कर लीजिये? तो सूर्यदेव ने जवाब दिया – मैं तो विवाह के लिए राज़ी हूँ अपने बेटी से पूछ कर देखें। जब गुरु नें अपनी बेटी से पुछा तो उसने विवाह के लिए मना कर दिया और कहा – पिताजी, सूर्य भगवान् तो पूरी दुनिया को रौशनी देते हैं, पर वह तो बहुत गर्म हैं जो भी उनके पास जायेगा भस्म हो जाता है। में सूर्य से विवाह नहीं करना चाहती। यह सुनते ही सूर्य भगवान नें सलाह दिया और कहा – गुरूजी आपक बादलों के राजा के पास जाइये वह मुझसे भी ताकतवर हैं वो मिरी रौशनी को भी रोक सकते हैं।यह सुनने के बाद गुरु नें अपनी शक्ति से बादलों के राजा को बुलाया और कहा – हे बादलों के रजा मेरी पुत्री को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करें? यह सुनते ही बादलों के राजा नें जवाब दिया – में तो विवाह के लिए तैयार हूँ परन्तु आप एक बार अपनी पुत्री से पूछ लें। जब गुरु नें अपनी बेटी से दुबारा पुछा तो बेटी नें दोबारा विवाह के लिया मना कर दिया और कहा – बादलों का राजा, अंधकार है, गिला है और ठंडा भी है, मेरे लिए पिताजी कोई अच्छा सही पति चुनिए। गुरु जी सोच में पड़ गए कि उनकी बेटी के लिए सही वर कौन होगा? तभी बादलों के राजा नें सलाह दिया तूफ़ान के राजा के पास जाईये वो मुझसे भी ताकतवर है क्योंकि वो जहाँ चाहे मुझे उड़ा कर ले जा सकता है।
यह सुनते ही गुरु जी नें अपने शक्ति से तूफ़ान के राजा को बुलाया और तूफ़ान के राजा प्रकट हुए। गुरूजी उनसे बोले क्या आप मेरी बेटी से विवाह करेंगे? यह सुनने पर तूफ़ान के राजा नें भी जवाब में कहा में तो तैयार हूँ क्या आपकी बेटी मुझसे विवाह करेगी। जब गुरु जी नें दुबारा अपनी बेटी से पुछा तो उसने दोबारा मना कर दिया और कहा तूफ़ान के राजा तो बहुत तेज़ हैं और जीवन में कभी भी आराम नहीं है और अपनी दिशा भी जब देखो तब बदलते रहते हैं। यह सुनते ही तूफ़ान के राजा नें कहा क्यों ना आप पर्वतों के राजा के पास जाएँ वो मुझे भी रोकने की शक्ति रखते हैं।यह सुनते ही गुरु नें अपनी शक्ति से पर्वत को बुलाया। जब वे प्रकट हुए तो गुरु नें दोबारा वाही प्रश्न किया जो सबसे उन्होंने पुछा था – क्या अप मेरी बेटी से विवाह करेंगे? यह सुनते ही पर्वत राजा नें जवाब में कहा – मैं तो राज़ी हूँ आपकी बेटी से विवाह करने के लिए। एक बार अपनी बेटी से भी पूछ लीजिये। यह सुनने के बाद गुरु नें अपनी बेटी से पुछा पर इस बार भी उनकी बेटी नें पर्वत राजा से भी विवाह करने से मना कर दिया और कहा – में पर्वत राजा से विवाह करना नहीं चाहती क्योंकि ये बहुत ही कठोर हैं और स्थाई भी। गुरु चिंतित पद गए और सोचने लगे पर्वत राजा से भी अच्छा वर उनकी बेटी के लिए कौन हो सकता है? सोच में पड़ते देख पर्वत राजा में सलाह दिया क्यों ना आप चूहों के राजा से पूछें वो तो मुझसे भी ज्यादा बेहतर हैं क्योंकि इतना मज़बूत होने पर भी वो मेरे शरीर पर छेद कर सकते है।यह सुनने पर गुरु नें जल्द से अपने शक्ति से चूहों के राजा को बुलाया। जब चूहों का राजा आया तो गुरु के सवाल करने पर उसने भी बाकि लोगों की तरह विवाह के लिए हाँ किया और कहा मैं तो तैयार हूँ आप अपनी बेटी से एक बार पूछ लें। जब गुरु नें अपनी बेटी को चूहों के राजा से मिलाया तो वो उन्हें पसंद आया और उसने शरमाते हुए विवाह के लिए हाँ कर दिया। यह जान कर गुरु बहुत खुश हुआ और उसने अपनी बेटी को अपनी शक्ति से चुही के रूप में बदल दिया और दोनों का विवाह करा दिया।कहानी से शिक्षा : हम अपनी किस्मत और जन्म से जुडी चीजों को कभी भी अलग नहीं कर सकते क्योंकि वो हमारे खून में है
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