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चाचा नेहरु / पं. जवाहरलाल नेहरु जीवनी Jawaharlal Nehru

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चाचा नेहरु / पं. जवाहरलाल नेहरु जीवनी Jawaharlal Nehru Biography Hindi
पंडित जवाहर लाल नेहरु जिन्हें बच्चे आज भी चाचा नेहरु के ना से जानते हैं, एक महान नेता थे को अमशक्ति के देवता थे। वो लोगों के दिन में बसते थे और अपने महान कार्यों के कारन आज भी बसे हुए हैं। उन्हें गरीब दीन-दुखी लोग अपना भगवान् मानते थे। उनके इस उदार भाव और लोगों के प्रति प्रेम के कारन पुरे विश्व भर में उनका नाम प्रसिद्ध हुआ।

पं. जवाहरलाल नेहरु का प्रारंभिक जीवन Early Life of Jawaharlal Nehru Hindi

पंडित जवाहरलाल नेहरु जी का जन्म 14 नवम्बर, 1889 को प्रयाग, अल्लाहाबाद में पिता पं. मोतीलाल नेहरु के घर में हुआ। उनके पिता एक प्रसिद्ध वकील थे। उनके पिता ने उनकी प्रारंभिक शिक्षा का प्रबंध उनके घर पर किया।
जवाहरलाल नेहरु जी को उनके पिताजी ने 15 वर्ष की आयु में इंग्लैंड के हैरो स्कूल और कैंब्रिज विश्वविद्यालय में दाखिला कराया गया। उसके बाद सन 1912 को नेहरु जी अपनी वकालत की पढाई पूरी कर के वापस लौटे।
अपने पढाई के दौरान इंग्लैंड में चाचा नेहरु के मन में आज़ादी और देश प्रेम की भावना जागृत हुई। उनके दिन में भारत को स्वतंत्र देखने की तड़प सी जाग गयी।
उसके बाद उन्होंने भारत में अपनी वकालत शुरू की परन्तु उसमें उनका मन नहीं लगा। सन 1915 में उनका विवाह कमला जी से हुआ।

पं. जवाहरलाल नेहरु और राजनीति Politics & Jawaharlal Nehru Hindi

सन 1919 के रॉयल एक्ट और अमृतसर के दुख भरे जलियावाला बाग़ हत्याकांड के बाद नेहरु जी स्वयं को रोक ना सके और वे भी अपने पिताजी मोतीलाल नेहरु जी और अन्य बड़े राजनीतिक नेताओं के साथ मिल कर राजनितिक क्षेत्र में कूद पड़े।
सितम्बर 1920 से 1922 के बिच महात्मा गाँधी जी के असहयोग आन्दोलन में भी पं. जवाहरलाल नेहरु जी ने भाग लिया। असहयोग आन्दोलन के कारण नेहरु जी को जेल भी जाना पड़ा।
उसके बाद सन 1929 को लाहौर के कांग्रेस अधिवेशन में जवाहरलाल नेहरु को कांग्रेस का प्रधान चुना गया। 26 जनवरी को उन्होंने रावी नदी के किनारे तिरंगा झंडे को लहरते हुए उस दिन को पूर्ण स्वतंत्रता पाने का ऐलान किया।
सन 1942 में नेहरु जी ने अंग्रेजों – भारत छोड़ो का नारा उठाया जो बात ब्रिटिश सरकार को पसंद न आई और उन्होंने उनको जेल में डाल दिया। उनके इस बहादुरी के कार्यों ने पुरे भारत वर्ष में स्वतंत्रता के लिए लड़ने की एक आग सी फैला दी। दूसरी तरफ ब्रिटिश सरकार की अंतर्राष्ट्रीय हालत भी बिगड़ चुकी थी।


चाचा नेहरु / पं. जवाहरलाल नेहरु जीवनी Jawaharlal Nehru Biography in Hindi


चाचा नेहरु / पं. जवाहरलाल नेहरु जीवनी Jawaharlal Nehru Biography Hindi
पंडित जवाहर लाल नेहरु जिन्हें बच्चे आज भी चाचा नेहरु के ना से जानते हैं, एक महान नेता थे को अमशक्ति के देवता थे। वो लोगों के दिन में बसते थे और अपने महान कार्यों के कारन आज भी बसे हुए हैं। उन्हें गरीब दीन-दुखी लोग अपना भगवान् मानते थे। उनके इस उदार भाव और लोगों के प्रति प्रेम के कारन पुरे विश्व भर में उनका नाम प्रसिद्ध हुआ।

पं. जवाहरलाल नेहरु जीवनी (चाचा नेहरु) Jawaharlal Nehru Biography in Hindi


पंडित जवाहरलाल नेहरु जी का जन्म 14 नवम्बर, 1889 को प्रयाग, अल्लाहाबाद में पिता पं. मोतीलाल नेहरु के घर में हुआ। उनके पिता एक प्रसिद्ध वकील थे। उनके पिता ने उनकी प्रारंभिक शिक्षा का प्रबंध उनके घर पर किया।पं. जवाहरलाल नेहरु का प्रारंभिक जीवन Early Life of Jawaharlal Nehru Hindi

जवाहरलाल नेहरु जी को उनके पिताजी ने 15 वर्ष की आयु में इंग्लैंड के हैरो स्कूल और कैंब्रिज विश्वविद्यालय में दाखिला कराया गया। उसके बाद सन 1912 को नेहरु जी अपनी वकालत की पढाई पूरी कर के वापस लौटे।
अपने पढाई के दौरान इंग्लैंड में चाचा नेहरु के मन में आज़ादी और देश प्रेम की भावना जागृत हुई। उनके दिन में भारत को स्वतंत्र देखने की तड़प सी जाग गयी।
उसके बाद उन्होंने भारत में अपनी वकालत शुरू की परन्तु उसमें उनका मन नहीं लगा। सन 1915 में उनका विवाह कमला जी से हुआ।

पं. जवाहरलाल नेहरु और राजनीति Politics & Jawaharlal Nehru Hindi

सन 1919 के रॉयल एक्ट और अमृतसर के दुख भरे जलियावाला बाग़ हत्याकांड के बाद नेहरु जी स्वयं को रोक ना सके और वे भी अपने पिताजी मोतीलाल नेहरु जी और अन्य बड़े राजनीतिक नेताओं के साथ मिल कर राजनितिक क्षेत्र में कूद पड़े।


सितम्बर 1920 से 1922 के बिच महात्मा गाँधी जी के असहयोग आन्दोलन में भी पं. जवाहरलाल नेहरु जी ने भाग लिया। असहयोग आन्दोलन के कारण नेहरु जी को जेल भी जाना पड़ा।
उसके बाद सन 1929 को लाहौर के कांग्रेस अधिवेशन में जवाहरलाल नेहरु को कांग्रेस का प्रधान चुना गया। 26 जनवरी को उन्होंने रावी नदी के किनारे तिरंगा झंडे को लहरते हुए उस दिन को पूर्ण स्वतंत्रता पाने का ऐलान किया।
सन 1942 में नेहरु जी ने अंग्रेजों – भारत छोड़ो का नारा उठाया जो बात ब्रिटिश सरकार को पसंद न आई और उन्होंने उनको जेल में डाल दिया। उनके इस बहादुरी के कार्यों ने पुरे भारत वर्ष में स्वतंत्रता के लिए लड़ने की एक आग सी फैला दी। दूसरी तरफ ब्रिटिश सरकार की अंतर्राष्ट्रीय हालत भी बिगड़ चुकी थी।

भारत के प्रथम प्रधानमंत्री – पं. जवाहरलाल नेहरु First Prime Minister of India – Pt. Jawaharlal Nehru

आखिरकार 15 अगस्त 1947 को उनके कड़े परिश्रम और और कई स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान के बाद भारत आज़ाद हुआ। स्वतंत्रता के बाद नेहरु जी भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने।
स्वतंत्रता के बाद यह उनके लिए बहुत ही मुश्किल का काम था क्योंकि ब्रिटिश शासन ने पुरे भारत की अर्थव्यवस्था को तहस नहस कर दिया था। तब भी दृढ़ता के साथ उन्होंने इस पद का कार्यभार संभाला।
आजादी के बाद उनके सामने कई प्रकार के मुश्किलों का सामना करना पड़ा। जैसे कभी कोई साम्राज्यवादी देशों का गुट भारत को साथ जोड़ने के लिए धमकियां दे रहा था तो कहीं प्राकृतिक आपदा जैसे बाढ़ की समस्या आ कड़ी होती थी।
जगह-जगह मजदूर हड़ताल पर चले जाया करते थे। इन सभी प्रकार के बड़ी मुश्किलों से ना घबराते हुए वो साहस के साथ अपना कार्य करते चले और इन सभी मुश्किलों को दूर किया।
जवाहरलाल नेहरु ज़बरदस्त नेता थे। उन्होंने सन 1962 के त्रितय निर्वाचन में पुरे भारत में जोर शोर से दौरा किया। उन्होंने पैदल, बस, रेल, हवाईजहाज हर माध्यम से दौरा करते हुआ भाषण दिए। वो भारत में जहाँ भी गए वहां लोगों द्वारा उनको सम्मान मिला।
वो एक महान लेखक भी थे। उन्होंने “आराम हराम है” का नारा लोगों के सामने रखते हुए लोगों को समझाया की देश को कैसे आगे ले कर जाना होगा। उन्होंने पुरे भारत के लोगों को शांति, सहयोग, और प्यार का रास्ता का पाठ पढाया।
नेहरु जी ने भारत के विकास के लिए पंचवर्षीय योजना का निर्माण किया और “पंचशील” की स्थापना की गयी।

जवाहरलाल नेहरु – बाल दिवस Jawaharlal Nehru – Childrens Day

जवाहरलाल नेहरु जी बच्चों से बहुत प्रेम करते थे और बच्चे भी उनसे। इसीलिए बच्चे उन्हें चाचा नेहरु के नाम से पुकारा करते थे और आज भी उन्हें इस नाम से सभी जानते हैं।
नेहरु जी बच्चों के कल्याण हेतु बहुत सोचते थे और उनके लिए सही आहार और जरूरतों का ख्याल रखने के समय-समय पर प्रोग्राम भी शुरू करते थे।
नेरु जी का यह भी मानना था की बच्चों को ज्यादा से ज्यादा  इसलिए वो शिक्षा के क्षेत्र में भी उनके लिए ध्यान देते थे।

जवाहरलाल नेहरु जी की मृत्यु Death of Jawaharlal Nehru

सन 1962 में अचानक से भारत के पडोसी देश चीन ने हमारे देश के ऊपर आक्रमण कर दिया। चीन ने जो किया उसके बारे में किसी ने सोचा भी नहीं था क्योंकि चीन हमेशा भारत से मित्रता करने का दिखावा करता था।


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