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सफलता प्राप्त करने का कोई शॉर्टकट नहीं होता

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कहानी शीर्षक : सफलता प्राप्त करने के लिए आसन रास्ता चुनना सही नहीं
एक बार सुनहरे पंखो वाली एक चिड़िया जंगल में इधर-उधर पेड़ों पर फुदक रही थी । हर दिन की तरह वह अपने स्वादिस्ट भोजन पेड़ों के तने में रहेने वाले कीड़ों को ढून्ढ रही थी । अचानक ही उसने देखा की एक व्यक्ति जंगल के रास्ते से कहीं जा रहा था । उसके हाँथ में एक छोटा सा लकड़ी का बक्सा था और वह व्यक्ति बहुत ही जल्दी में लग था ।
तभी उस सुनहरे पंखों वाले पक्षी ने उस व्यक्ति को प्रश्न किया और पुछा ! आप कौन हैं महाशय और कहा इतनी हड़बड़ी में चले जा रहे हैं ? उस व्यक्ति ने जल्दबाजी में उत्तर दिया ! मैं जंगल के उस पार बसने वाले गाँव का एक किसान हूँ और पास वाले गाँव के बाज़ार की ओर जा रहा हूँ जो जंगल के दुसरी तरफ है । सुनहरे पंखों वाली चिड़िया ने दोबारा प्रश्न किया ! इस बक्से में ऐसा क्या है जो आप बाज़ार में बेचने जा रहे हैं ? उस किसान ने उत्तर दिया ! इसमें पेड़ों के तनों में रहने वाले कीड़े हैं जो में 1 सुनहरे पंख के बदले बाज़ार में बेचना चाहता हूँ ।

यह बात सुनते ही सुनहरे पंखों वाली उस पक्षी के मुह में पानी आ गया और उसने पुछा ! क्या आप इस बक्से को मुझे दे सकते हैं मैं आपको इसके बदले अपना एक सुनहरा पंख देदुंगी क्योंकि मेरे पास तो बहुत सारे पंख हैं । यह सुन के किसान भी खुश हो गया क्योंकि उसे आधे रास्ते पर ही बिना बाज़ार गए सुनहरा पंख मिल गया, किसान ने भी हाँ करके उस कीड़ों से भरा बक्सा उस सुनहरे पक्षी को दे दिया । उस सुनहरे पक्षी ने किसान को जाते समय एक और प्रश्न किया ! क्या आप हर दिन मेरे लिए कीड़ों से भरा बक्सा ला सकतें हो , मैं आपको हर दिन अपना एक पंख दूँगी ।
यह सुन कर किसान खुश हो गया और प्रतिदिन दिन सुनहरे पक्षी के लिए कीड़ों से भरा बक्सा लाने लगा और उस दिन की तरह वह पक्षी भी प्रतिदिन अपना एक सुनहरा पंख उस किसान को देता था । ऐसा करते-करते कई दिन बीत गए । एक ऐसा दिन आया जब उस सुनहरे पक्षी के सभी पंख समाप्त हो गए और वह उड़ने में भी असमर्थ हो गयी । जिसके कारण वह खाने की तलाश में भी न जासकी और कुछ ही दिनों में उसकी मृत्यु हो गयी ।


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