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1 खरगोश और कछुए की कहानी Rabbit and The Tortoise

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एक बार की बात है, एक जंगल में एक बहुत तेज़ दौड़ने वाला खरगोश रहता था। उसे अपने तेज़ दौने की शक्ति पर बड़ा गर्व था।
उसी जंगल में एक छोटा सा कछुआ भी था जो बहुत ही धीरे-धीरे चलता था। जब कछुए ने देखा की खरगोश अपने दौड़ने के ताकत पर ज्यादा हेकड़ी दिखा रहा है, उसने जोश में आकर खरगोश को दौड़ के लिए चुनौती दे डाला।जब जंगल में दुसरे जानवरों को इस बात का पता चला तो उन्हें यह बात सुन कर बड़ी हंसी आगई क्योंकि खरगोश था जंगल में सबसे तेज़ दौड़ने वाला और कछुआ था सबसे धीमे चलने वाला। यह दौड़ देखने के लिए जंगल के सभी जानवर एक जगह एकत्र हो गए।
दौड़ का नियन यह था की जो भी पुरे जंगल का एक चक्कर लगा कर पहले पहुंचेगा वहीँ विजेता होगा। दौड़ शुरू हुई। दौड़ शुरू होते ही खरगोश बहुत तेज़ भागा और बहुत आगे निकाल गया।
कुछ देर दौड़ने के बाद जब उस खरगोश ने पीछे मुड के देखा तो उसने देखा कछुआ तो इतनी दूर था की वह दिख भी नहीं रहा था। तो उसने सोचा चलो थोडा आराम कर लिया जाए और वह एक पेड़ के नीचे सोगया। कुछ देर में उसकी आँख लग गयी और वो सो गया।कछुआ धीरे-धीरे बिना रुके चलते गया और पुरे जंगल का एक चक्कर लगा कर जीत की रेखा पर पहुँच गया। जब कछुआ पहले पहुंचा तो सारे जंगल के जानवर खुश हो गए। जब सब जानवर ख़ुशी मानते हुए चिल्लाने लगे तो खरगोश की आँख खुली पर तब बहुत देर हो चुकी थी क्योंकि कछुआ पहले से ही जीत चूका था।इस कहानी से हमें बहुत कुछ सिखने को मिलता है जैसे – कभी भी अपने ऊपर हद से ज्यादा गर्व नहीं करना चाहिए। जीवन में धीरे-धीरे मिली हुई सफ़लत ही टिकता है। हमें किसी को भी अपने से कम नहीं समझना चाहिए।
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