Advertisemen
थकान दूर होने के बाद आप कुछ हद तक बेहतर महसूस करते हैं. यूनिवर्सिटी ऑफ पेन्सीलवानिया में मनोविज्ञान के प्रोफेसर मार्टिन ईपी सेलिगमैन जो कि सकारात्मक मनोविज्ञान के क्षेत्र में एक पाइअनीर के तौर पर जाने जाते हैं, खुशी के रास्ते में नकारात्मक भावनाओं को तवज्जो नहीं देते.उन्होंने कहा, 'मनोविज्ञान सामान्य तौर से इस बात पर केंद्रित है कि आप अवसाद (डिप्रेशन), गुस्सा और चिंता से कैसे निजात पाते हैं.'
जीवन में कुश रहने के लिए प्रोफेसर सेलिगमैन ने पेन पॉजिटिव साइकोलॉजी सेंटर में रिसर्च पर आधारित चार अभ्यास का सुझाव दिया है, जिसे वह पढ़ाती हैं.
अपनी ताकत को पहचानें
अपने बारे में एक कहानी लिखें जिस वक्त आप अपने सबसे अच्छे दौर में थे. जरूरी नहीं कि यह जीवन में बदलाव लाने वाला कोई घटनाक्रम हो, लेकिन जीवन के बीच की कोई एक शानदार शुरुआत होनी चाहिए.
इसे सप्ताह में एक दिन जरूर पढ़ें और उस वक्त अपने आप से पूछें, 'जिस वक्त मैं अच्छा था मेरी व्यक्तिगत ताकत क्या थी?' क्या आपने रचनात्मकता देखी? उस समय आप दूसरों के लिए किस तरह के इंसान थे? ईमानदार? बहादुर? जोशीला? अपना जवाब लिखें, आप जहां कहीं भी अच्छे थे उसे खुद से जोड़ लें.'
बेहतर को पहचानें
बिस्तर पर सोने जाने से पहले उस दिन की तीन ऐसी बातें जरूर लिखें जो वास्तव में बेहतर हुआ हो. फिर उन सारी घटनाओं से पैदा हुए सवाल के जवाब सोचें. 'ऐसी अच्छी बात क्यों हुई?' जीवन की कमियों को ढूंढने की बजाय जो कि डिप्रेशन को बढ़ावा देने का काम करता है, अपना ध्यान जीवन के खूबसूरत पहलुओं पर लगाएं.
किसी का आभार देना न भूलें
किसी ऐसे इंसान के बारे सोचें जो आपके लिए बेहतर सोचता है या फिर जिसने आपके लिए कुछ अच्छा किया और आप उनका धन्यवाद करना भूल गए. एक पत्र लिखें, जिसमें आप यह बताएं कि उसने (जिसने आपके लिए कुछ अच्छा किया) आपके जीवन में कितना कुछ किया और कैसे उसके इस कार्य ने आपके जीवन पर असर डाला व आप उनकी कोशिशों को कितनी ही बार याद करते हैं. फिर आप एक मुलाकात के दौरान इस पत्र को जोर से पढ़ें. यकीन मानिए आप दोनों ही इस पल की खुशी को अपने जीवन का अंग बनाना चाहेंगे.
समझदारी और रचनात्मकता से जवाब दें
यह अभ्यास यूनिवर्सिटी ऑफ कैलीफॉर्निया की सामाजिक मनोविश्लेषक शैली गाबले के कार्य पर आधारित है. सांटा बारबरा, जिसने विवाह और अन्य गहरे संबंधों पर विस्तार से अध्ययन किया है. अगले समय में जिसके बारे में आप चिंता करते हो, आपसे कोई अच्छी खबर साझा करता है. डॉ. गाबले इसे सक्रिय रचनात्मक जवाब कहते हैं. बजाए इसके कि आप इसे पैसिव तरीके से इस तरह से बोले, 'ओह! दैट इज़ वाइस.'
Add Comments