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पूना समझौता महात्मा गाँधी और डॉ. भीम राव आंबेडकर के मध्य 1932 में ब्रिटिश प्रधानमंत्री मेक्डोनाल्ड ने साम्प्रदायिक घोषणा द्वारा हरिजनों के लिए अलग से निर्वाचन की व्यवस्था की इसका गांधीजी ने विरोध किया और आमरण अनशन प्रारम्भ किया। 20 अगस्त 1932 को आंबेडकर तथा गांधीजी के बीच पूना में समझौता हुआ इसे पूना समझौता कहा जाता है। इसके द्वारा केंद्रीय विधान मण्डल में हरिजनों के लिए 18 प्रतिशत सीटो आरक्षण तथा उनकी शिक्षा के लिए आर्थिक सहायता की व्यवस्था की गयी। सरकारी नोकरियो में भी उनके लिए उचित प्रतिनिधित्व की व्यवस्था की गयी। इस सम्पूर्ण प्रक्रिया को ही पूना समझौता कहाँ जाता है।
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